कला के जरिए देश विदेश में नाम कमा रहे काँगड़ा जिला मुख्यालय धर्मशाला के अंतरराष्ट्रीय चित्रकार मुकेश थापा युवा चित्रकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं इन दिनों वे अक्सर अपनी चित्रकलाओं को लेकर चर्चा में रहते हैं और साथ ही उन्हें विदेशों में होने वाले चित्रकला प्रदर्शनियों में विशेष रूप से आमंत्रित किया जाने लगा है.
गत तैंतीस वर्षों से realistic चित्र कला करते आ रहे मुकेश ने बताया कि एक अलग सोच के चलते उन्होंने पेंट ब्रश के केवल एक बाल से चित्रकला बनाने की ठानी, जिसे देश दुनिया में मौजूद कला के कद्रदानों द्वारा काफी पसंद किया गया है.
उन्होंने बताया कि वह मुख्य रूप से साधारण पेंटिंग ही बनाते हैं.युवा चित्रकारों के लिए उनका मानना है कि यदि वह शार्टकट ना अपनाते हुए धैर्य से कार्य करें, तो सफलता ज़रूर मिलती है.
उन्होंने हमें बताया – जब मैं चौथी कक्षा में था तो मैं स्कूल समय में पेंटिंग बनाया करता था और उस समय मैं काग़ज़ में बनाता था पेंसिल से और उसमें मेरे अध्यापक और मेरे जो सहपाठी थे और मेरे जो दोस्त थे वो सब इसको देख के बहुत प्रसन्न होते थे तब मैं वाटर कलर किया करता था कागज़ में, उस समय काफी मतलब मुझे मेरी पेंटिंगअच्छी होने का मुझे काफी पुरुस्कार मिलता था.
अब तक मुझे पेंटिंग में आते पूरे पच्चीस साल हुए हैं.और इस साल में मतलब कि छह सौ या हज़ार से ज़्यादा पेंटिंग मैं बना चुका हूं.और practice paintings भी शामिल हैं काफी ज़्यादा.जो दाढ़ी के एक बाल से पेंटिंग बनायीं थी, उसका एक अलग concept था, क्योंकि मैं काफी सालों से कर रहा था, तो मेरे हाथ में हुनर आ चुकी थी तो मैं कुछ अलग करना चाहता था ताकि दुनिया का ध्यान आपकी तरफ आए.
तो मैंने सिर्फ एक बाल से पेंटिंग बनाने का ठान लिया, मैंने दिन रात छह साल तक की प्रैक्टिस की और उसको मैंने एक साल में तैयार किया तो इस पेंटिंग को बनाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, काफी बार disturb हुआ, पर finally मैंने एक portrait बनाया और उसका ध्यान पूरी दुनिया एक तरफ आया.
और इस प्रकार से मैंने अपनी फील्ड में सालो की मेहनत के बाद सफलता पाई और मैं युवाओ से यही कहना चाहता हूँ कि अगर आप सही तरीके से मेहनत करते हैं तो निश्चित रूप से एक दिन आपको भी सफलता मिलेगी