चम्बा न्यूज़ : अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेले में गद्दी समुदाय के पारम्परिक परिधान बने आकर्षण का केंद्र

0
चम्बा न्यूज़ : अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेले में गद्दी समुदाय के पारम्परिक परिधान बने आकर्षण का केंद्र

चम्बा न्यूज़ : अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेले में गद्दी समुदाय के पारम्परिक परिधान बने आकर्षण का केंद्र

हिमाचल प्रदेश के चंबा में इन दिनों अंतर्राष्ट्रीय मिंजर मेला, देश विदेश के लोगों को यहां की विशिष्ट संस्कृति और गद्दी परिधानों के प्रति आकर्षित करता नज़र आ रहा है.

मेले में लगे गद्दी सामुदाय के पारंपरिक परिधान लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.गद्दी महिलाएं बड़े शौक से लुआन चोली,कुर्ती, मोचन और डोरा पहनती है, वहीं पुरुष चोला डोरा और टोपी पहनते हैं.आधुनिक दौर में गद्दी सामुदायिक युवा पीढ़ी में इन वेशभूषाओं के प्रति रुझान बेशक कम हुआ है, लेकिन भरमौर के जनजातिय क्षेत्रों सहित कांगड़ा, नूरपुर और पालमपुर क्षेत्र में रहने वाले गद्दी परिवार आज भी इस वेशभूषा को पहनना अपनी शांन समझते हैं.

शादी विवाह सहित विशेष दिनों में इसे पहनकर कार्यक्रमों में शामिल होते हैं.अपनी संस्कृति को लोगों तक पहुंचाने के लिए गद्दी समुदाय के ऐसे कई लोग हैं जो अंतर्राष्ट्रीय मिंजर मेले में पारंपरिक गद्दी वेशभूषा का प्रदर्शन करते हैं.

किशोरी लाल अत्री भी उन लोगों में से एक हैं.उन्होंने बताया कि वे ना केवल स्वयं पारंपरिक वेशभूषाए तैयार कर रहे हैं बल्कि साठ से सत्तर लोगों को अब तक इस वेशभूषा को बनाने का प्रशिक्षण भी दे चुके हैं.

उन्होंने कहा – गद्दी हमारा समुदाय इसका जो परिधान है, जो पहनावा है, इस पहनावे की अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेला में पहली बार प्रदर्शनी के रूप में लगाया गया है और यह मेरा पैतृक काम है.यह चंबा की प्रसाद, चंबा का टोपी, भरमौर की टोपी, यह गद्दी समुदाय की टोपीया का जो मेला लगता है.उसमें गद्दी जो चौड़ा लगाते हैं उस चौड़े को भी हम बनाते हैं और यह जो हमारे भरमौर की लुआन चोली बनाई जाती हैं वह भी बनाई जाती हैं

तो इसके लिए मैं प्रशासन का और सरकार का बहुत आभारी हूं कि हमारा जो गद्दी समुदाय का जो परिधान है उसके लिए अंतरराष्ट्रीय मेले में एक मौका दिया गया है तो ऐसा ऐसा मौका जो है पूरे हिंदुस्तान में दिया जाए, ताकि मतलब पता चले कि चंबा में भी कोई ऐसे गद्दी समुदाय के लोग और चंबा जैसे के लोग जो है यह पोशाक वगैरह पहनते हैं

पुराना परम्पराएं जो परिधान है वह सारा यहां चंबा में बनता है.मेरे पास आ रहा है यह गद्दी का सिरका डोले हो गए, जैकेट हो गई, बांस कट हो गई, टोपी हो गई, लोंचडी हो गई, पुसाज हो गई और जितना भी गद्दी culture का और जो पहनावा इंसान एक लगाता है चंबा जिले में वो सारा बनाने का हम एक पूरा योगदान देते हैं और पूरा हम बनाते हैं.

मेरे साथ मेरे शिष्य भी हैं जो यह पूरा काम करते हैं.इस वक्त हमारे कम से कम 70 शिष्य हैं वह तैयार हो चुके हैं कि यह पुराना परम्परा एक जो यह dress है इनको तैयार करने के लिए बनाने पड़े.

गद्दी परिधानो को बनाने की कला सीख रही सुमन ने कहा कि गद्दी वेशभूषा की अपनी अलग पहचान है.उनके द्वारा काफी मेहनत के बाद यह वेशभूषा तैयार की जाती हैं और उन्हें पहली बार अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेले में stall लगाने का मौका मिला है.लोहाचड़ी वगैरह बना रही है और हमें इधर stall लगाने का मौका दिया है.तो हम यह करते हैं कि आगे भी हमें यह मौका मिले और बड़ी मेहनत का काम है यह.

अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेले में आए स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे की शादी के लिए गद्दी परिधान खरीदे हैं.यह परिधान गद्दी सामुदायिक के लिए पवित्र होते हैं जिन्हें विशेष आयोजनों में पहना जाता है.

निश्चित रूप से हिमाचल प्रदेश का चंबा जिला अपनी संस्कृति को ना केवल संजोए हुए हैं बल्कि उसके प्रति सम्मान रखते हुए उसे पूरे विश्व तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय मिंजर मेंला एक अहम्भूमिका निभाता नज़र आ रहा है.

यह भी पढ़े :

हमीरपुर न्यूज़ : भारतीय खाद्य निगम के मंडलीय प्रबंधक ने आज हमीरपुर जि़ले में निगम के गोदाम का किया निरीक्षण

कुल्लू : कुल्लू जिले की मलाणा जलविद्युत परियोजना चरण-2 के बांध के गेट गाद के कारण हुए जाम

हमीरपुर न्यूज़ : हमीरपुर जि़ले में मक्की की फसल पर कीट लगने से काफी फसल तबाह

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed